भारत सरकार ने केदारनाथ धाम की यात्रा को पहले से आसान बनाने के लिए एक ऐतिहासिक फैसला लिया है। 12.9 किलोमीटर लंबे Kedarnath Ropeway : यात्रा आसान, अनुभव यादगार! को मंजूरी मिल गई है, जो श्रद्धालुओं की यात्रा का समय 8-9 घंटे से घटाकर सिर्फ 36 मिनट कर देगा! आइए जानें, यह प्रोजेक्ट क्यों है खास, और इससे आपकी केदारनाथ यात्रा कैसे होगी सुविधाजनक:

- लंबाई: 12.9 किमी (देश की सबसे लंबी रोपवे में से एक)।
- बजट: 481 करोड़ रुपये।
- तकनीक: अत्याधुनिक 3S ट्राई-केबल सिस्टम (सुरक्षित और तेज)।
- क्षमता: एक केबिन में 36 यात्री।
- लाभ: बुजुर्गों और दिव्यांगों के लिए यात्रा सुलभ।
Kedarnath Ropeway : यात्रा आसान, अनुभव यादगार! : मुख्य बिंदु
Kedarnath Ropeway : यात्रा आसान, अनुभव यादगार! से क्या बदलेगा?
- यात्रा का समय: पैदल या खच्चर से 8-9 घंटे → रोपवे से 36 मिनट।
- सुरक्षा: 3S टेक्नोलॉजी से हवा और मौसम का असर कम।
- पर्यटन बढ़ोतरी: यात्रा का मौसम 2 महीने से बढ़कर 6 महीने तक।
- रोजगार: स्थानीय होटल, दुकानों और गाइड्स को फायदा।
3S ट्राई-केबल टेक्नोलॉजी क्या है?
- 3 केबल सिस्टम: एक केबल गाड़ी को खींचेगी, दो सपोर्ट देंगी।
- फायदे: तेज हवाओं में भी स्टेबल, कम बिजली खपत।
- उदाहरण: यह तकनीक स्विट्ज़रलैंड और ऑस्ट्रिया जैसे देशों में सफल।
हेमकुंट साहिब रोपवे: एक और सौगात
- रूट: गोविंदघाट → घाघरिया → हेमकुंट साहिब।
- लाभ: 15 किमी की कठिन ट्रेकिंग अब आरामदायक सफर।
- विशेष: सिख तीर्थयात्रियों के लिए बड़ी राहत।
पर्वतमाला प्रोजेक्ट: पहाड़ों को जोड़ने की मुहिम
- लक्ष्य: देशभर में 8,000 किमी रोपवे नेटवर्क बनाना।
- उत्तराखंड: केदारनाथ और हेमकुंट के अलावा, यमुनोत्री-गंगोत्री रोपवे भी प्रस्तावित।
- कानूनी ढांचा: रोपवे के रखरखाव के लिए नई नीतियां बनीं।
Kedarnath Ropeway : यात्रा आसान, अनुभव यादगार! की योजनाएं और निवेश
- बजट: परिवहन क्षेत्र में 4 लाख करोड़ रुपये का निवेश।
- लक्ष्य: 2025 तक केदारनाथ रोपवे पूरा।
- प्रधानमंत्री मोदी का विजन: “ईज ऑफ लिविंग” के तहत तीर्थयात्रा को सुगम बनाना।
FAQ: केदारनाथ रोपवे से जुड़े सवाल
Q1. रोपवे की टिकट की कीमत कितनी होगी?
→ अभी घोषित नहीं, लेकिन सरकार श्रद्धालुओं के लिए इसे किफायती रखने का वादा करती है।
Q2. रोपवे कब तक बनकर तैयार होगा?
→ लक्ष्य 2025, लेकिन मौसम और टेक्निकल चुनौतियों के कारण देरी भी हो सकती है।
Q3. क्या रोपवे पर्यावरण को नुकसान पहुंचाएगा?
→ नहीं! इसे इको-फ्रेंडली तकनीक से बनाया जा रहा है, और पेड़ों की कटाई न्यूनतम होगी।

निष्कर्ष: यात्रा की नई उड़ान!
केदारनाथ रोपवे न केवल श्रद्धालुओं के लिए बल्कि उत्तराखंड के विकास के लिए एक मील का पत्थर है। यह परियोजना सुरक्षित यात्रा, रोजगार के अवसर और पर्यटन को बढ़ावा देगी। अगली बार जब आप केदारनाथ जाएँ, तो बर्फीले पहाड़ों के बीच इस रोपवे से उड़ान भरना न भूलें!
https://pib.gov.in/PressReleseDetailm.aspx?PRID=2108413®=3&lang=1
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